कहानी का सारांश एक बंदर पेड़ पर बैठा था। उसकी पूँछ काफ़ी लंबी थी और जमीन तक लटक रही थी। एक गिलहरी ने बंदर की पूँछ को देखा। उसने सोचा कि यह कोई झूला है। वह उस पर चढ़कर झूलने लगी। बंदर को गुदगुदी होने […]
कविता का सारांश ‘चूहो। म्याऊँ सो रही है’ नामक इस कविता के रचयिता धर्मपाल शास्त्री हैं। इस कविता में कवि ने एक दिन बिल्ली मौसी के सो जाने पर चूहों को स्वच्छंदतापूर्वक मनमानी करने हेतु ललकारा है। इस कविता में कवि कह रहे हैं कि […]
कविता का सारांश ‘रसोईघर’ मधु पंत द्वारा लिखित एक रोचक कविता है। इस कविता के माध्यम से कवयित्री बड़े ही रोचक शब्दों में रसोईघर की चीजों का वर्णन कर रही हैं। खेलते हुए मुन्ना मुन्नी जब रसोईघर की खिड़की को खोलकर देखते हैं तो पाते […]
कविता का सारांश इस कविता के रचयिता सुधीर जी हैं। ‘छुक-छुक गाड़ी’ नामक इस कविता में सुधीर जी एक ऐसी रेल के बारे में बता रहे हैं, जो स्टेशन से खुल चुकी है। वे लोगों को सावधान करते हुए कहते हैं कि सामने से हट […]
कविता का सारांश प्रस्तुत कविता ‘पकौड़ी’ के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इस कविता में कवि ने गरमा-गरम पकौड़ी के तलने से लेकर उसे मुँह में जाने तक का वर्णन बड़े ही रोचक शब्दों में किया है। जब पकौड़ी को तेल में छाना जाता है तो […]
कहानी का सारांश इस कहानी की लेखिका वर्षा सहस्रबुद्धे हैं। यह कहानी मौज मस्ती का खेल खेलते बच्चे और उनकी दीदी की है। खेल प्रारंभ होता है। दीदी बच्चों से कहती हैं कि मैं पाँच तक गिनती करूंगी और तुम लोग एक-एक करके गोला बनाकर […]
कविता का सारांश प्रस्तुत कविता ‘आम की टोकरी’ में सिर पर टोकरी रखकर आम बेचती एक छह साल की बच्ची के मनोभावों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है। इस कविता के कवि रामकृष्ण शर्मा ‘खद्दर’ हैं। कवि कहता है कि एक छह साल […]
चित्रकथा का सारांश एक लड़की ने आम के एक पेड़ पर लटका हुआ एक पका आम देखा। उसके मुँह में पानी भर आया। सामने के पेड़ पर बैठा एक कौआ भी ललचाई नजरों से इस आम को देख रहा था। लड़की ने अपने भाई को […]
कविता का सारांश प्रस्तुत कविता ‘झूला’ में कवि ने एक बच्चे की कोमल भावनाओं को व्यक्त किया है। इस कविता में एक बच्चा अपनी माँ से झूले की माँग कर रहा है। बच्चा अपनी माँ से कहता है कि वह उसके लिए एक झूला लगवा […]