कविता का सारांश
‘पतंग’ कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने पतंग के गुणों को बताया है। कवि कहता है कि पतंग आसमान में सर-सर सर-सर, फर-फर फर-फर करके उड़ती है। एक पतंग दूसरी पतंग को काटती हुई आकाश में खूब सैर-सपाटा करती है। पतंगें एक-दूसरे से लड़ती हैं और फिर कटकर लुट जाती हैं। सर-सर, फर-फर करती पतंग आसमान में उड़ान भरती है।
काव्यांशों की व्याख्या
- सर-सर सर-सर उड़ी पतंग,
फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।
इसको काटा, उसको काटा,
खूब लगाया सैर सपाटा।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘पतंग’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं। इसमें कवि ने पतंग की विशेषताओं का वर्णन बड़े ही रोचक शब्दों में किया है।
व्याख्या : आकाश में सर-सर, फर-फर करती पतंग उड़ रही है। सभी पतंगें एक-दूसरे को काटती हुई आकाश में खूब सैर-सपाटा करती हैं।
- अब लड़ने में जुटी पतंग,
अरे कट गई, लुटी पतंग।
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग,
फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।
प्रसंग : पूर्ववत।
व्याख्या : आकाश में उड़ती पतंगें एक-दूसरे से लड़ने में जुट गई हैं। जैसे ही पतंग कटती है, बच्चे उसे लूटने के लिए दौड़ पड़ते हैं। फिर आकाश में सर-सर, फर-फर करती पतंग उड़ती फिरती है।
प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
पतंग का चित्र बनाओ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
अब कविता बनाएँ।
उत्तर :
सर-सर सरसर उडी पतंग
घंटी बोली टन-टून-टन
उड़ता कपडा फरफरफर
चूड़ी बोली खून-खन-खन।
सोचो और लिखो
प्रश्न 3.
तुम पतंग के साथ सैर-सपाटे पर गई। वहाँ तुमने क्या-क्या देखा?
उत्तर :
नीला आकाश, उमड़ते-घुमड़त बादल, रंग-बिरंगी पतंगे. उड़ते पक्षी आदि।
प्रश्न 4.
पतंग कटकर कहाँ-कहाँ गिर सकती है?
उत्तर :
मैदान में, छत पर, पेड़ पर, सड़क पर, नदी-नालों में।
प्रश्न 5.
कागज़ से कुत्ता बनाओ।
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