कहानी का सारांश एक मुर्गी के दो चूजे थे। एक का नाम लालू और दूसरे का नाम था पीलू। लालू लाल चीजें तथा पीलू पीली चीजें खाता था। एक दिन लालू ने पौधे पर लाल-लाल कोई चीज देखी और उसे खा लिया। वह लाल मिर्च […]
कहानी का सारांश एक अंडे में से बत्तख का एक बच्चा निकला। उसने निकलकर कहा कि मैं बाहर आ गया। एक और अंडे में से मुर्गी का चूजा निकला। बाहर निकलकर उसने भी कहा कि मैं भी आ गया। अब बत्तख का बच्चा घूमने के […]
कविता का सारांश कविता ‘एक बुढ़िया’ के रचयिता निरंकारदेव ‘सेवक’ हैं। इस कविता में कवि ने एक ऐसी बुढ़िया के बारे में बताया है, जिसके पास कोई काम न था। वह दिनभर खाली रहती और कोई काम नहीं करती थी। काम रहने के कारण वह […]
कविता का सारांश ‘बंदर गया खेत में भाग’ कविता के रचयिता सत्यप्रकाश कुलश्रेष्ठ हैं। इस कविता में उन्होंने एक बंदर के क्रियाकलापों का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया है। एक बंदर एक साग के खेत में गया और ढेर सारा साग तोड़ा। फिर […]
कहानी का सारांश प्रस्तुत कहानी गेंद और बल्ले की है। गेंद ने बल्ले से कहा कि तुम मुझे क्यों मारते हो? बल्ले ने उत्तर दिया कि यदि मैं तुम्हें मारूंगा नहीं तो खेल कैसे होगा? फिर जब गेंद बल्ले के पास आई तो उसने जोर […]
कविता का सारांश ‘पतंग’ कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने पतंग के गुणों को बताया है। कवि कहता है कि पतंग आसमान में सर-सर सर-सर, फर-फर फर-फर करके उड़ती है। एक पतंग दूसरी पतंग को काटती हुई आकाश में […]
कविता का सारांश ‘पगड़ी’ एक बड़ी रोचक कविता है, जिसके रचनाकार सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इस कविता में विचित्र स्थितियों का सामना करती एक पगड़ी का वर्णन किया गया है। कवि कह रहा है कि एक पगड़ी को रगड़-रगड़कर इतना साफ़ किया गया कि मैल तो […]
कहानी का सारांश एक बंदर पेड़ पर बैठा था। उसकी पूँछ काफ़ी लंबी थी और जमीन तक लटक रही थी। एक गिलहरी ने बंदर की पूँछ को देखा। उसने सोचा कि यह कोई झूला है। वह उस पर चढ़कर झूलने लगी। बंदर को गुदगुदी होने […]
कविता का सारांश ‘चूहो। म्याऊँ सो रही है’ नामक इस कविता के रचयिता धर्मपाल शास्त्री हैं। इस कविता में कवि ने एक दिन बिल्ली मौसी के सो जाने पर चूहों को स्वच्छंदतापूर्वक मनमानी करने हेतु ललकारा है। इस कविता में कवि कह रहे हैं कि […]
कविता का सारांश ‘रसोईघर’ मधु पंत द्वारा लिखित एक रोचक कविता है। इस कविता के माध्यम से कवयित्री बड़े ही रोचक शब्दों में रसोईघर की चीजों का वर्णन कर रही हैं। खेलते हुए मुन्ना मुन्नी जब रसोईघर की खिड़की को खोलकर देखते हैं तो पाते […]
कविता का सारांश इस कविता के रचयिता सुधीर जी हैं। ‘छुक-छुक गाड़ी’ नामक इस कविता में सुधीर जी एक ऐसी रेल के बारे में बता रहे हैं, जो स्टेशन से खुल चुकी है। वे लोगों को सावधान करते हुए कहते हैं कि सामने से हट […]
कविता का सारांश प्रस्तुत कविता ‘पकौड़ी’ के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इस कविता में कवि ने गरमा-गरम पकौड़ी के तलने से लेकर उसे मुँह में जाने तक का वर्णन बड़े ही रोचक शब्दों में किया है। जब पकौड़ी को तेल में छाना जाता है तो […]
कहानी का सारांश इस कहानी की लेखिका वर्षा सहस्रबुद्धे हैं। यह कहानी मौज मस्ती का खेल खेलते बच्चे और उनकी दीदी की है। खेल प्रारंभ होता है। दीदी बच्चों से कहती हैं कि मैं पाँच तक गिनती करूंगी और तुम लोग एक-एक करके गोला बनाकर […]
कविता का सारांश प्रस्तुत कविता ‘आम की टोकरी’ में सिर पर टोकरी रखकर आम बेचती एक छह साल की बच्ची के मनोभावों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है। इस कविता के कवि रामकृष्ण शर्मा ‘खद्दर’ हैं। कवि कहता है कि एक छह साल […]
चित्रकथा का सारांश एक लड़की ने आम के एक पेड़ पर लटका हुआ एक पका आम देखा। उसके मुँह में पानी भर आया। सामने के पेड़ पर बैठा एक कौआ भी ललचाई नजरों से इस आम को देख रहा था। लड़की ने अपने भाई को […]