कविता का सारांश
‘बंदर गया खेत में भाग’ कविता के रचयिता सत्यप्रकाश कुलश्रेष्ठ हैं। इस कविता में उन्होंने एक बंदर के क्रियाकलापों का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया है। एक बंदर एक साग के खेत में गया और ढेर सारा साग तोड़ा। फिर उसने आग जलाकर साग पकाया और उसे सापड़-सूपड़ करके खूब मज़े से खाया। उसके बाद उसने दूब उखाड़कर अपना मुँह पोंछा। फिर बंदर राजा चलनी बिछाकर और सूप ओढ़कर मजे से सो गए।
काव्यांशों की व्याख्या
- बंदर गया खेत में भाग,
चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग।
आग जलाकर चट्टर-मट्टर,
साग पकाया खद्दर-बद्दर।
शब्दार्थ : चुट्ट र-मु ट्टर-लकड़ी की आग जलने पर होने वाली चट-चट की ध्वनि। खद्दर-बद्दर-साग-सब्ज़ी को उबालने पर होनेवाली आवाज़।
प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘बंदर गया खेत में भाग’ से ली गई हैं। इसके रचयिता सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ हैं। इस कविता में एक बंदर के क्रियाकलापों का वर्णन किया गया है।
व्याख्याः एक बंदर एक खेत में भागकर गया। उसने खेत में साग तोड़े। उसने लकड़ी से आग जलाई तथा खूब अच्छी तरह से साग पकाया।
- सापड़-सूपड़ खाया खूब,
पोंछा मुँह उखाड़कर दूब।
चलनी बिछा, ओढ़कर सूप,
डटकर सोए बंदर भूप।
शब्दार्थ: दूब-एक प्रकार की घास। भूप-राजा।
प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या: बंदर ने साग को खूब मजे से खाया। फिर उसने दूब उखाड़कर अपना मुँह पोंछा। उसके बाद बंदर राजा चलनी बिछाकर सूप ओढ़कर डटकर सो गए।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
क्या बिछाया, क्या ओढ़ा?
प्रश्न 1.
बंदर चलनी बिछाकर, सूप ओढ़कर सो गया।
लिखो, ये कैसे सोएँगे?
उत्तर :
भागो, भागो, भागो!!
प्रश्न 2.
बंदर खेत से साग तोड़कर भागा। कौन-कौन-से काम करने के बाद तुम्हें भागना पड़ता है?
उत्तर :
कुत्ते को ढेला मारने के बाद।
छोटे भाई से लड़ने के बाद (माँ के डर से)।
घर आए बहुरूपिये को देखने के बादा
रात में कोई अनजान या डरावनी आवाज़ सुनने के बाद
प्रश्न 3.
इसमें कितनी तरह की टोपियाँ और पगड़ियाँ हैं? बताओ।
उत्तर :
तीन तरह की टोपियाँ।
नौ तरह की पगड़ियाँ।
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