कहानी का सारांश

हलीम नाम के एक लड़के को एक दिन चाँद पर जाने की इच्छा हुई। वह एक रॉकेट के कारखाने में बैठ गया। उसने एक रॉकेट लिया और रॉकेट पर बैठकर चाँद की तरफ़ चल पड़ा। रास्ते में चलते-चलते अँधेरा हो गया। अब हलीम को डर लगने लगा, क्योंकि उसे चाँद पर जाने के रास्ते का पता नहीं था। थोड़ी देर में उसने चाँद देखा और वह खुश हो गया। चाँद पर ढेर सारे बड़े-बड़े गड्ढे और बड़े-बड़े पहाड़ थे। लेकिन वहाँ कोई पेड़-पौधा, जानवर या मनुष्य नहीं था। हलीम को यह जगह बिलकुल ही पसंद नहीं आई और वह रॉकेट पर बैठकर अपने घर लौट आया।

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

रास्ते में क्या देखा?

प्रश्न 1.
हलीम को रास्ते में क्या-क्या दिखा होगा?
उत्तर:
नीला आकाश – पतंगें:
काले बादल – हवाई जहाज
चिडियाँ: – हेलीकॉप्टर

कहाँ जाओगे?

प्रश्न 1.
हलीम चाँद पर जाना चाहता था। तुम कहाँ जाना चाहती हो? कैसे जाओगी?
उत्तर :
कहाँ

मुंबई
नानी के गाँव
लंदन
कैसे

रेल से
बस से
हवाई जहाज से
डर
हलीम को अँधेरे से डर लगता था।

प्रश्न 1.
तुम्हें कब-कब डर लगता है?
उत्तर :
जब मैं चिड़ियाघर में बाघ और शेर देखती हूँ।
जब मैं बिना होमवर्क किए विद्यालय जाती हूँ।
जब मैं घर पर अकेली होती हूँ।
जब घर में पिता जी गुस्सा होते हैं।

प्रश्न 2.
फिर तुम क्या करते हो?
उत्तर :
मैं अपने भीतर के डर को दूर भगाने की कोशिश करती हूँ और अपने मम्मी-पापा के हाथ पकड़ लेती हैं।

प्रश्न 3.
चाँद और सूरज का चित्र बनाओ।
उत्तर :
विद्यार्थी इनके चित्र स्वयं बनाएँ।

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